यूँ के फुसफुसा ही गए … कुछ औने पौने से लब्ज़ ..
सांस रोके जो आये थे .. वैसे ही सांस रोके से भाग गए..
अब जो औने पौने भी सुन लिया … तो सुन लिया …
न जाने किस गली से … किस भीड़ से टकरा आये थे
गुप से आये चुप से चले भी गए …
उन्हें पता है हम औना पौना क्या …..इक हर्फ़ नहीं छोड़ेंगे …
जो आ जाता है वो आ जाता है …
फिर आ कर कहीं भी घूमे भटके … या हम रहें अटके ..
क्या फर्क पड़ता है … जो आ जाता है वो आ जाता है …
हमें लगता है … हमने ये पहले भी सुना है.. पता नहीं …क्या पता …
जो सुन लिया सो सुन लिया…
“यूँ रोशन जमाल है उनका …
हमारा होशमंद रहना भी … नागवार है ”
…….चपल…. चहल पहल …