About स्याह की रौशनी लिए कुछ चुलबुले कुछ मंझे कुछ सधे कुछ यूँ ही शब्द … और उनकी टोली ! तृप्ति इसे शेयर करे:साझा करेंFacebookTwitterLike this:पसंद करें लोड हो रहा है...